कुछ लोग राजनितिक पार्टिया के समर्थन / प्रशंसा ऐसे करते है मानो की ओ अपने मामा के घर के सोने की हाथी हो। चाहे ओ कांग्रेस हो या कॉम्युनिस्ट। यह लोग एक दूसरे की खिचाई करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ते। मेरे भेजे में एक बात नहीं घुश पाती है की यह लोग किसी भी पार्टी के लिए मरने मिटने के लिए क्यों तैयार होजाते है।
यह लोग खिचाई करने में उन्हें भी नहीं छोड़ते जो निस्पच्छ हो और अपने आपको साबित करने के लिए सारे के सारे उदहारण रट लेते है मानो की किसी भी समय परीछा देनेके लिए तैयार।
ताजुब की बात यह है की यह लोग सालो साल गिनवादते है, रात दिन बहस करने में लगादेते है और परिणाम वही आती है जो आप देखते आरहे है। गरीबी, शोषण, अन्याय, भ्रष्टाचार, निरक्षरता, जातिवाद, बेरोजगारी, भूखमरी, प्रदुषण, रोग, वामपंथी, उग्रवाद, दंगे, आदि इत्यादि। इन्हे लगता है की राजनितिक पार्टिया इनके मसीहा है जो सत्ता पे आते ही छण भर में सारे के सारे समस्या दूर करदेगी। यह खुसिया ऐसे ब्यक्त करते है जैसे की साले की बरात में जारहे हो जब इनकी पार्टी की जित होती है।
हम अधिकार और कर्तब्य की बाते भी करते है, हां सिर्फ बातें करते है। हम ना तो अपना कर्तब्य निभाते है नतो अपना अधिकार की जिक्र करते है। इस लेख से हम यह बताना चाहते है की आप कोई भी पार्टी से जुड़े रहे, उसकी तहे दिलसे स्तुति करिये, हमें कोई दिक्कत नहीं है। परन्तु एक बात हमेशा ध्यान रखिएगा की आपकी पार्टी अगर सही कररहा है तो ठीक है मगर किसी भी तरीके से सत्ता की गलत उपयोग करे तो उसके खिलाफ जरूर आवाज उठाये नाकि उसको मसीहा के तरह पुजते रहे। गलत और सही परखे और गलत के खिलाफ सारे जनता मिलकर १ आवाज उठाये ताकि समाज के जितने भी कुरीतिया है वह गायब होजाये। हां, यह मुमकिन है और यह तब मुमकिन होगा जब हम आपस में ना लड़े, धैर्य बनाए रखे और हम सब आपस में मिलकर अच्छा कार्य करे।