नव वर्ष २०७३ एक सिख

भगवान – (भुमि, गगन, वायु, अाग, निर)
इन पाच तत्व से बना है भगवान, इनही तत्व से बना है मनुष्य ।
हम ताे निकले थे भगवान के खाेजी मे, यह ताे है हमारे अन्दर ।
पुजते है हम ब्रम्हा, विष्णु, महेश काे, देख पाया इन्हे कभी नही ।
कहते है इन्हाेने बनाया हमें, आया मैं माँ के कोख से।
उन्होंने कहा वो बसते है मंदिरों में, हम यही मानते चले आये।
जब है भगवान अपने अंदर, भटक रही है ये संसार क्यों?

नव वर्ष २०७३ का सबको हमारी ओर से शुबकामनाए। सदैव खुस रहे।

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