Think once before you utter the word “Bhaiya”

You dont have right to call me bhaiya. Please mind your language when you speak next time” was the spontaneous response when he was trying to submit his application to window no. 2.

The dark guy entered into the hall and asked a ball pen with me to write an application. As soon as he finished with it, he headed towards the window no 2 and spoke something in a gentle nepali voice. Few conversation occured between this guy and the officer. Suddenly, the guy got fired and then the above scene triggered.

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The nepali officer looked old, thin and his hair turned blakish grey but he talked only in hindi. He was not able to speak in Nepali, may be due to prolonged stay in India. However, It is unfortunate to call a young man bhaiya by an elder person and i too feel ridiculed in such situations.

That was an appropriate punch to that man at a perfect time. I know the old man didnt mean to hurt the guys sentiment and was polite enough while talking but this time was not right. The time has completely changed its face and the meaning of bhaiya has taken a new turn. The word has become so common and is over looked now and it conveys the sense of racism. Not only in Nepal but the trend is also taking pace in entire india calling bihari bhaiya.

No, we dont have any right to call anyone a bhaiya just for he is dark in color or he pulls a rickshaw or he sells vegies n fruits  on Thellas.  Let us respect ourselves and preserve humanity. No one has become superior by making someone feel inferior, our greatness is indicated by our attitude and Karma. Bhaiya is a word to call our elder brother with respect, let us not change it’s meaning. Let us think once before uttering this word. Let us not be a part of Racism voluntarily or involuntarily.

कृपया गलत का समर्थन ना करे।

कुछ लोग राजनितिक पार्टिया के समर्थन / प्रशंसा ऐसे करते है  मानो की ओ अपने मामा के घर के सोने की हाथी हो। चाहे ओ कांग्रेस हो या कॉम्युनिस्ट। यह लोग एक दूसरे की खिचाई करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ते। मेरे भेजे में एक बात नहीं घुश पाती है की यह लोग किसी भी पार्टी के लिए मरने मिटने के लिए क्यों तैयार होजाते है।

यह लोग खिचाई करने में उन्हें भी नहीं छोड़ते जो निस्पच्छ हो और अपने आपको साबित करने के लिए सारे के सारे उदहारण रट लेते है मानो की किसी भी समय परीछा देनेके लिए तैयार।

ताजुब की बात यह है की यह लोग सालो साल गिनवादते है, रात दिन बहस करने में लगादेते है और परिणाम वही आती है जो आप देखते आरहे है। गरीबी, शोषण, अन्याय, भ्रष्टाचार, निरक्षरता, जातिवाद, बेरोजगारी, भूखमरी, प्रदुषण, रोग, वामपंथी, उग्रवाद, दंगे, आदि इत्यादि। इन्हे लगता है की राजनितिक पार्टिया इनके मसीहा है जो सत्ता पे आते ही छण भर में सारे के सारे समस्या दूर करदेगी। यह खुसिया ऐसे ब्यक्त करते है जैसे की साले की बरात में जारहे हो जब इनकी पार्टी की जित होती है।

हम अधिकार और कर्तब्य की बाते भी करते है, हां सिर्फ बातें करते है। हम ना तो अपना कर्तब्य निभाते है नतो अपना अधिकार की जिक्र करते है।  इस लेख से हम यह बताना चाहते है की आप कोई भी पार्टी से जुड़े रहे, उसकी तहे दिलसे स्तुति करिये, हमें कोई दिक्कत नहीं है। परन्तु एक बात हमेशा ध्यान रखिएगा की आपकी पार्टी अगर सही कररहा है तो ठीक है मगर किसी भी तरीके से सत्ता की गलत उपयोग करे तो उसके खिलाफ जरूर आवाज उठाये नाकि उसको मसीहा के तरह पुजते रहे।  गलत और सही परखे और गलत के खिलाफ सारे जनता मिलकर १ आवाज उठाये ताकि समाज के जितने भी कुरीतिया है वह गायब होजाये। हां, यह मुमकिन है और यह तब मुमकिन होगा जब हम आपस में ना लड़े, धैर्य बनाए रखे और हम सब आपस में मिलकर अच्छा कार्य करे।